मृत्युभोज के बहिष्कार का लिया संकल्प

 मृत्युभोज के बहिष्कार का लिया संकल्प

डूंगरपुर, महेन्द्र सिंह पवार।
श्री कृष्णा कल्याण सेना संस्थापक जिग्नेश वैष्णव के सानिध्य में 18 जुलाई को युवाओं की बैठक आयोजित की गई वहां सभी कार्यकर्ताओं ने मृत्युभोज का बहिष्कार करते हुए मृत्यु भोज नही करने का संकल्प लिया।


श्री कृष्णा कल्याण सेना संस्थापक जिग्नेश वैष्णव ने बताया कि मृत्युभोज से ऊर्जा नष्ट होती है जिस परिवार में मृत्यु जैसी विपदा आई हो उसके साथ इस संकट की घड़ी में जरूर खड़े हों और तन, मन, धन से सहयोग करें और बारहवीं या तेरहवीं पर मृतक भोज का पुरजोर बहिष्कार करें। किसी भी धर्म ग्रन्थ में मृत्युभोज का विधान नहीं है लेकिन हमारे समाज का तो ईश्वर ही मालिक है। इसीलिए महर्षि दयानन्द सरस्वती, पं.श्रीराम शर्मा, स्वामी विवेकानन्द जैसे महान मनीषियों ने मृत्युभोज का जोरदार ढंग से विरोध किया है। जिस भोजन का हर कृत्य आंसुओं से भीगा हुआ। ऐसे आंसुओं से भीगे निकृष्ट भोजन अर्थात बारहवीं एवं तेरहवीं के भोज का पूर्ण रूपेण बहिष्कार कर समाज को एक सही दिशा देने के लिए उन्होंने मृत्युभोज का त्याग किया और संकल्प लिया कि वह किसी भी प्रकार के मृत्यु भोज को ग्रहण नहीं करेंगे और मृत्युभोज प्रथा को रोकने का हर संभव प्रयास करेंगे।
इस प्रथा को बन्द करने के लिए समाज को जागरूक करेंगे तथा एक आंदोलन की तरह इस कुप्रथा का बहिष्कार करेंगे जिससे यह कुप्रथा धीरे धीरे एक दिन अवश्य ही बंद हो जाएगी। इसी के तहत श्री कृष्णा कल्याण सेना द्वारा मृत्यु भोज पर बंदिश लगा कर कार्यकर्ताओं ने संकल्प लिया कि, वह आजीवन मृत्यु भोज नही करेंगे और समाज में भी इन बातों से लोगों को जागृत करेंगे। इस अवसर पर नरेश बांसड, रोशन बांसड, जनक कंसारा, लक्ष्यराज सिंह झाला, आशीष तम्बोली, मयूर कलाल, नीलेश खटीक, ऋतिक बांसड, ऋतिक वैष्णव, प्रथम प्रजापत, मनीष प्रजापत, मधुसुदन प्रजापत, गर्व वैष्णव, देव बांसड, हर्षद परमार, शैलेन्द्र तम्बोली, जतिन सोमपुरा तथा रोहित सहित समस्त कार्यकर्ता मौजूद रहे।

अभिषेक लट्टा - प्रभारी संपादक मो 9351821776

Related post